कहीं ना कहीं अपने वर्तमान और भविष्य कि चिंता और दर्द आंखों से बयां कर रही है। कहीं ना कहीं अपने वर्तमान और भविष्य कि चिंता और दर्द आंखों से बयां कर रही है।
वृद्धा ने देखा कि पात्र लेते हुए बाबाजी के नेत्रों से भी दो बूंद नीर उस पात्र में समा ग वृद्धा ने देखा कि पात्र लेते हुए बाबाजी के नेत्रों से भी दो बूंद नीर उस पात्र मे...
उनके सम्मुख बड़ी-सी स्टील की थाली में रोटियां रखी थी जो पिछले दिन की लग रही थी ! उनके सम्मुख बड़ी-सी स्टील की थाली में रोटियां रखी थी जो पिछले दिन की लग रही थी...
डॉग्स बेहद समझदार होते हैं। वफादारी निभाना तो कोई इनसे सीखे डॉग्स बेहद समझदार होते हैं। वफादारी निभाना तो कोई इनसे सीखे
झूठ बोलकर ही सही उन्होंने अपनी जेठानी को उनके हिस्से की कुछ खुशियां दे दी थीं। झूठ बोलकर ही सही उन्होंने अपनी जेठानी को उनके हिस्से की कुछ खुशियां दे दी थीं।
प्रकृति का सम्मान करके ही हम प्रकृति का मूल्य चुका सकते हैं और स्वयं को लाभान्वित कर सक प्रकृति का सम्मान करके ही हम प्रकृति का मूल्य चुका सकते हैं और स्वयं को लाभान्वि...